Kedarnath Ropeway: 9 घंटे का सफर 36 मिनट में… अक्तूबर से शुरू हो जाएगा निर्माण कार्य
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार, 5 मार्च को केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में, कैबिनेट ने 4,081 करोड़ रुपये के बजट के साथ लगभग 13 किलोमीटर तक रोपवे को मंजूरी दी। वहीं एक अनुमान के मुताबिक, हेमकुंड साहिब पर 2,730 रुपये खर्च होंगे। मौजूदा समय में केदारनाथ तक पहुंचने में करीब 8 घंटे लग जाते हैं। लेकिन नए रोपवे प्रोजेक्ट के साथ भक्त, आगंतुक और यात्रियों को केदारनाथ पहुंचने में मात्र 40 मिनट लगेंगे। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक कैबिनेट ब्रीफिंग में यह जानकारी शेयर की।
गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब जी तक 12.4 किलोमीटर रोपवे परियोजना को डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (डीबीएफओटी) मोड पर विकसित किया जाएगा, जिसकी कुल पूंजीगत लागत 2,730.13 करोड़ रुपये होगी. सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किमी रोपवे परियोजना को सार्वजनिक-निजी भागीदारी में विकसित करने की योजना है. परियोजना को डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और स्थानांतरण (डीबीएफओटी) मोड पर 4,081.28 करोड़ रुपये की कुल लागत पर विकसित किया जाएगा. हेलिकॉप्टर और रोपवे सेवा सोनप्रयाग से केदारनाथ तक पहुंचेंगे हर दिन 18000 यात्री केदारनाथ 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है जो रुद्रप्रयाग जिले में 3,583 मीटर (11968 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है. यह मंदिर साल में अक्षय तृतीया (अप्रैल-मई) से दीपावली (अक्टूबर-नवंबर) तक लगभग 6 से 7 महीने तीर्थयात्रियों के लिए खुला रहता है और इस मौसम के दौरान सालाना लगभग 20 लाख तीर्थयात्री यहां आते हैं.
केदारनाथ जाने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ेगी और स्थानीय कारोबारियों को भी फायदा मिलेगा. इससे लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. इसकी वजह से अगर स्थानीय कारोबार प्रभावित होता है तो निश्चित ही सरकार उस दिशा में भी कदम उठाएगी. रोपवे बनने से फायदा यह होगा कि यात्रियों की संख्या बढ़ेगी और लोग एक ही दिन में बाबा केदार के दर्शन करके वापस सोनप्रयाग आ सकते हैं और स्थानीय लोगों के होमस्टेट और अन्य खानपान के कारोबार को बढ़ावा मिल सकता है. इसका एक फायदा यह होगा कि अगर कभी बारिश या मौसम की वजह से कहीं यात्रा का पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त होता है तो यात्रा रोपवे के जरिए जारी रह सकती है. इससे यात्रा एकदम बंद नहीं होगी और निर्बाध रूप से यात्रा चलने स्थानीय कारोबार भी प्रभावित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि इससे इको फ्रेंडली तीर्थाटन को तो बढ़ावा मिलेगा ही साथ में स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.