बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व विजयादशमी आज पूरे देश में मनाया जाएगा। उत्तराखंड में भी विभिन्न जगहों पर रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले दहन के लिए तैयार किए गए हैं। देहरादून में सबसे ऊंचा 55 फीट का पुतला हिंदू नेशनल स्कूल परिसर में दहन होगा। आयोजकों ने सभी से कोविड गाइडलाइन का पालन करने की अपील की है। शहर में मुख्य रूप से बन्नू स्कूल परिसर, हिंदू नेशनल स्कूल, परिसर और प्रेमनगर के दशहरा ग्राउंड पर शाम छह से सात बजे के बीच लंका दहन और पुतला दहन होगा।
विजय दशमी तिथि 14 अक्टूबर गुरुवार को शाम 6.52 बजे शुरू होकर शुक्रवार 15 अक्तूबर को शाम 6.02 बजे समाप्त होगी। अच्छाई पर बुराई का प्रतीक दशहरा पर्व शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस बार दशहरा सर्वार्थ सिद्धि, कुमार और रवि जैसे कई महायोग में मनाया जाएगा। इसके लिए रामलीला कमेटियों की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम अहंकारी रावण का वध करेंगे और फिर पुतला दहन होगा। हरिद्वार में भारतीय प्राच्य विद्या सोसाइटी के प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि दशहरे की पूजा का मुहूर्त सबसे अधिक पुण्यकारी तब होता है जब पूजन के समय सूर्य दशम भाव में हो। इस बार यह मुहूर्त 11.30 से 13.25 दोपहर तक होगा।
रावण दहन का शुभ समय शाम को 19 बजकर 26 मिनट से 21 बजकर 22 मिनट तक उत्तम है। पंचांग के अनुसार इस दिन चंद्रमा को गोचर मकर राशि में रहेगा। शुक्रवार को श्रवण नक्षत्र है। विशेष बात ये है कि इस दिन मकर राशि में तीन ग्रहों की युति बन रही है। इस दिन गुरु, शनि और चंद्रमा एक साथ मकर राशि में रहेंगे। पूजा के लिए दशहरे के दिन सुबह नहा-धोकर साफ कपड़े पहने और गेहूं या चूने के आटे से दशहरे की प्रतिमा बनाएं। गाय के गोबर से 9 गोले व 2 कटोरियां बनाकर, एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ व फल रखें. अब प्रतिमा को केले, जौ, गुड़ और मूली अर्पित करें। यदि बहीखातों या शस्त्रों की पूजा कर रहे हैं तो उन पर भी ये सामग्री जरूर अर्पित करें। इसके बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा करें और गरीबों को भोजन कराएं। रावण दहन के बाद शमी वृक्ष की पत्ती अपने परिजनों को दें। अंत में अपने बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।