उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के 7 नए जिलों के गठन के संकेत बुधवार को दिए हैं. इसके साथ ही सीएम ने यह भी साफ किया है कि जल्द ही सरकार 7 नए जिलों को लेकर जनता का सुझाव लेने के लिए उन तक पहुंचेगी. इसके साथ ही जनप्रतिनिधियों से भी वार्ता की जाएगी. आपको बता दें कि उत्तराखंड को अपने नए जिलों की दरकरार थी, जिसको लेकर सीएम ने जमीनी सतह पर उतारने की योजना बना ली है. सरकार के जनप्रतिनिधि जनता का मत जानने पहुंचेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तराखंड के 7 नए जिलों में ऋषिकेश, पुरोला, रूड़की, कोटद्वार, काशीपुर, रानीखेत और डीडीहाट शहरों को शामिल किया गया है. व
हीं, सीएम ने यह भी संकेत दिए हैं कि गढ़वाल में चार तो कुमाऊं मंडल में तीन नए जिले बन सकते हैं. सीएम पुष्कर ने आगे यह भी कहा कि किन-किन स्थानों पर नए जिलों के गठन की जरूरत है, इसपर जनता से विचार विमर्श किया जाएगा और जनप्रतिनिधियों से भी बातचीत की जाएगी. 15 अगस्त, 2011 को तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सबसे पहले उत्तराखंड में चार जिले बनाने का ऐलान किया था। इनमें यमनोत्री, कोटद्वार, रानीखेत और डीडीहाट शामिल थे। निशंक की विदाई के बाद बीसी खंडूड़ी सरकार ने इसका जीओ भी जारी किया था। कांग्रेस की विजय बहुगुणा सरकार ने नए जिलों को लेकर राजस्व परिषद अध्यक्ष की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी। कमेटी ने अपने प्रांरभिक रिपोर्ट में संस्तुति भी की लेकिन नए जिलों के गठन की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई।
मार्च, 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को तीसरी कमिश्नरी बनाने की घोषणा थी। इसमें चमोली, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा ओर बागेश्वर जिले को शामिल किया गया था। इसके बाद अल्मोड़ा को गैरसैंण कमिश्नरी में शामिल करने को तीखा विरोध शुरू हो गया। इस बीच त्रिवेंद्र रावत की भी विदाई हो गई और तीरथ रावत के सीएम बनने के बाद यह मसला भी दबा दिया गया। अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है की नए जिलों के गठन में इंफ्रास्ट्रक्चर समेत क्या-क्या व्यवस्थाएं जुटानी है, इस बात का भी मंचन किया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी ने कहा है छोटी प्रशासनिक इकाइयों के गठन को लेकर लंबे अरसे से उत्तराखंड में मांग चलती आ रही है।