पूरे देश में मूसलाधार बारिश हो रही है। कई राज्यों में ये तबाही लेकर आया है। उत्तराखंड में भी पहाड़ दरक रहे हैं, बादल फटने से भारी नुकसान हो रहा है। इस बीच केदारनाथ धाम पहुंचे श्रद्धालुओं को भी काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। प्रशासन की ओर से फंसे लोगों तक राहत पहुंचाने की कोशिश जारी है। इस बीच उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय ने बताया कि केदारनाथ में बुधवार रात को हुई भारी बारिश के कारण कई रास्ते क्षतिग्रस्त हो गए। विभिन्न जगहों पर फंसे तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू करने के लिए जिला प्रशासन व पुलिस समेत अन्य सुरक्षा बल लगातार कार्य में जुटे हैं। हर स्तर पर सभी लोगों के सुरक्षित रेस्क्यू करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

भारतीय सेना के एमआई-17 हेलिकॉप्टर से केदारनाथ से 50 यात्रियों को चारधाम हेलिपैड लाया गया। यहां से सभी यात्रियों को उनके गंतव्य के लिए रवाना किया जा रहा है। खराब मौसम के कारण दो दिनों में एमआई-17 सिर्फ तीन शटल ही कर पाया है। जबकि गौचर हवाई पट्टी पर चिनूक हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर पाया है। दोनों हेलिकॉप्टर के साथ सेना का 20 सदस्यीय दल तैनात है। विंग कमांडर शैलेश सिंह के नेतृत्व में आपदा में रुके यात्रियों के रेस्क्यू के लिए भारतीय सेना के दो हेलिकॉप्टर यहां पहुंचे हैं। शनिवार को सुबह से शाम 4.30 बजे तक केदारनाथ क्षेत्र में घना कोहरा छाने के कारण एमआई-17 उड़ान नहीं भर पाया।

इसके बाद कुछ देर के लिए मौसम जैसे ही उड़ान लायक हुआ, भारतीय सेना अपने अभियान के लिए तैयार हो गई। एमआई-17 ने चारधाम हेलिपैड गुप्तकाशी से केदारनाथ के लिए दो शटल की हैं और 50 यात्रियों का रेस्क्यू किया। विंग कमांडर शैलेश सिंह ने बताया कि खराब मौसम के कारण रेस्क्यू में दिक्कत आ रही है। बावजूद, आखिरी व्यक्ति को सकुशल वापस लाने तक उनका अभियान जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि रविवार को मौसम ठीक रहा तो सुबह से ही रेस्क्यू शुरू कर दिया जाएगा। साथ ही गौचर हवाई पट्टी से चिनूक हेलिकॉप्टर भी केदारनाथ के लिए उड़ान भरेगा।

मौसम अनुकूल न होने के कारण शनिवार को वायुसेना के मालवाहक हेलीकाप्टर चिनूक और एमआइ 17 उड़ान नहीं भर पाए। छोटे हेलीकाप्टरों से भीमबली, चीरवासा में और लिनचोली में फंसे तीर्थयात्रियों में से 1000 को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और मंदिर समिति की टीमों ने 600 लोगों को केदारनाथ गधाम के दुरुह वैकल्पिक मार्गों से सुरिक्षत निकाला, 400 अन्य को हेलीकाप्टरों से निकाला गया। अभी तक 9,099 तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों को निकाला जा चुका है, लगभग 1000 तीर्थयात्री जगह-जगह अब भी फंसे हुए हैं। रुद्रप्रयाग न की पुलिस अधीक्षक डा विशाखा न अशोक भदाणे के अनुसार रेस्क्यू किए गए तीर्थयात्रियों में काफी संख्या में वह भी शामिल हैं, जिनका अभी तक स्वजन से संपर्क नहीं हो पा रहा था। आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन के अनुसार बचाव एवं गृहत कार्य युद्धस्तर पर जारी हैं।