देवभूमि उत्तराखंड में चारधाम यात्रा कुछ दिन पहले आम श्रधालुओं के लिए खोल दी गयी है। जिसके बाद यात्रियों के साथ ही पर्यटक व्यवसायियों के चहरे पर भी ख़ुशी के भाव चमक उठे थे। लेकिन अब कुछ दिन बाद ही ये ख़ुशी दूर होती नजर आ रही है। इसके पीछे का जो एकलौता और बड़ा कारण नजर आ रहा है वह ये कि उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा यात्रा पर जाने के लिए हर दिन की एक लिमिट तय की गयी है। और जिस दिन से यात्रा के ऑनलाइन पास बनने शुरू हुए उस दिन ही सारे स्लॉट्स बुक हो गए थे।
अब पर्यटन व्यवसायी के साथ ही श्रद्धालु भी यह सवाल पूछ रहे हैं कि चारधाम यात्रा पर आए पर्यटकों पर इतनी सख्ती क्यों ??? पहले पंजीकरण प्रक्रिया (जहां 90% लोग फेल), फिर ई पास, फिर ग्रीनकार्ड, फिर ट्रिप कार्ड, जगह जगह पेपर चेक। यात्रा तो खुल गयी है लेकिन वाहन खाली हैं होटल खाली हैं सड़के बेरंग हैं। जबकि पंजीकरण 100% हो चुका है लेकिन पर्यटक हैं कहाँ? आखिर यह कैसी यात्रा चला रही है।
800 लोग केदारनाथ और 1000 लोगों की बद्रीनाथ धाम में दर्शन के नियम। यह एक भद्दा मजाक क्यों किया जा रहा है? लोगों का कहना है कि नियमावली यह हो सकती थी कि जिन देश प्रदेश के यात्रियों को कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक लग चुकी है या 72 घण्टे पुरानी कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट हो वह सभी यात्रा पर आ सकते हैं। यात्रियों की संख्या को सीमित करना पर्यटन व्यवसायियों के साथ छलावा मात्र है। एक समस्या यह भी है कि अधिकतर लोगों ने अपने घर से ऑनलाइन पंजीकरण करवा लिया किंतु वह यात्रा पर नहीं आ रहे है, ना ही अपना पंजीकरण रद्द करवा रहे हैं। जिससे उत्तराखंड सरकार के पंजीकरण पोर्टल 100% बुकिंग दिखा रहा है किंतु यात्री यात्रा पर ही नही आ रहे ना ही उनके स्थान पर नए यात्रियों को पंजीकरण की सुविधा मिल रही है जिससे वह यात्रा से वंचित हो रहे हैं।