उत्तराखंड में बिजली के दाम फिर बढ़ेंने की तैयारियाँ चल रही हैं. ऊर्जा निगम ने बिजली की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग को भेज दिया है। इस प्रस्ताव पर मंगलवार को ही ऊर्जा निगम की बोर्ड बैठक में मुहर लगी थी। निगम ने आयोग को बिजली दर में साढ़े बारह प्रतिशत का इजाफा करने का प्रस्ताव भेजा है। जिस पर अगले सप्ताह तक आयोग कोई निर्णय लेगा। जबकि इससे पहले भी ऊर्जा निगम अप्रैल में विद्युत दरों में 2.68 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर चुका है।
उत्तराखंड में गत एक अप्रैल को ही नई बिजली दरें लागू हुई थीं। इसके बाद देशभर में गहराए बिजली संकट, बाजार में बिजली की कमी से ऊर्जा निगम का आर्थिक गणित गड़बड़ा गया। ऊर्जा निगम ने इसी को बिजली दरें बढ़ाने का आधार बनाया है। ऊर्जा निगम मैनेजमेंट का तर्क है कि उसे अप्रैल में ही बाजार से 386 करोड़ रुपये की अतिरिक्त बिजली खरीदनी पड़ी। साथ ही प्रतिमाह 500 करोड़ रुपये की बिजली नियमित रूप से एनएचपीसी, एनटीपीसी और यूजेवीएनएल से खरीदनी पड़ती है। निगम का कहना है कि इस समय उसे गैस प्लांट से सस्ती मिलने वाली 7.5 एमयू बिजली भी नहीं मिल रही है।
फिजूल खर्ची और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा रहने वाला ऊर्जा निगम वित्तीय हालत खराब होने का रोना तो रोता है, लेकिन कार्यशैली में सुधार लाने के बजाय घाटे की भरपाई उपभोक्ताओं से करने में कोई गुरेज नहीं करता। साथ ही लाइन लास और बिजली चोरी रोकने को प्रभावी कार्रवाई करने से भी निगम बचता है। उधर, ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार महंगी बिजली खरीद के कारण घाटा होने का हवाला दे रहे हैं। ऐसे में नियामक आयोग में याचिका दायर कर बिजली दर बढ़ाने की मांग की जा रही है।